हिन्दू धर्म में पूजा उपासना दैनिक जीवन का एक हिस्सा माना जाता है। जिस प्रकार एक तन की स्वच्छता के लिए हम नित्य स्नान करते हैं उसकी प्रकार मन की स्वच्छता करने के लिए रोज भगवान की पूजा करना भी आवश्यक है। पूजा करने से मन के सारे मैल साफ़ हो जाते हैं, अच्छे विचार आते हैं और सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
इसके अलावा पूजा करने से देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि आती है। परन्तु जैसे किसी भी कार्य को करने का एक तरीका और कुछ नियम होते है वैसे ही पूजा करने का भी एक तरीका है और कुछ नियम होते हैं यदि हम पूजा के नियम और धर्म का पालन करते हैं तो देवता/इश्वर हमसे प्रसन्न होते हैं और हमें शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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यहाँ पर हम आपको पूजा के उन नियमों के बारे में बतायेंगे पूजा करते समय जिनका पालन करना चाहिए। यदि पूजा करते समय इन नियमों का पालन किया जाये तो शुभ फल की प्राप्ति होती है और ईश्वर आपकी पूजा से प्रसन्न होते हैं। ये नियम सरल हैं इसलिए इन्हें ध्यान में रखना और इनका पालन करना आसन है-
- हर पूजा में पञ्च देवो की पूजा अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए ये पांच देव हैं - शंकर भगवान, विष्णु भगवान, गणेश भगवान और सूर्य देव। पूजा करते समय इन पांच देवो का ध्यान अनिवार्य रूप से करना चाहिए इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और समृद्धि प्रदान करती हैं।
- पूजा में उपयोग लेन वाले गंगा जल को कभी भी अपवित्र धातु के बर्तन में नहीं रखना चाहिए। प्लास्टिक, एलुमिनियम और लोहा अपवित्र धातु में गिनी जाती है अर्थात कभी भी गंगा जल को इन पदार्थो से बने बर्तन में नहीं रखना चाहिए। इसके लिए तांबे के बर्तन पवित्र माने जाते हैं अगर तांबे का बर्तन न हो तो स्टील भी उपयोग में लाया जा सकता है।
- इसका भी ध्यान रखना चाहिए की भगवान शिव, गणेश भगवान, और भैरव ज़ी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है अर्थात कभी भी इन तीनो देवताओं पर तुलसी नहीं चढ़ाए ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी।
- वैसे ही यदि आप माता दुर्गा की पूजा कर रहे हैं तो उन्हें दुर्वा (एक प्रकार की घास) अर्पित न करें ऐसा करने से माता रुष्ट हो जाती हैं।
- कभी भी सूर्य भगवान को शंख से अर्ध्य नहीं देना चाहिए हमेशा अपने दोनों हाथों से ही सूर्य भगवान को अर्ध्य दें।
- यदि आपने स्नान नहीं किया है और आप पूजा के लिए तुलसी पत्तो को तोड़ने जा रहे हैं तो ऐसा मत करिए क्योंकि शास्त्रानुसार बिना नहाये हुए यदि आप तुलसी पत्तो को तोड़ते हैं और पूजा में भगवान पर चढ़ाते हैं तो तो भगवान रुष्ट होते हैं और तुलसी पत्तो को स्वीकार नहीं करते हैं।
- हिन्दू शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन 5 बार देवी देवताओ का पूजन करना चाहिए- प्रथम बार ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 5 से 6 बजे के बीच का समय) में भगवान की पूजा और आरती करनी चाहिए। दूसरी बार सुबह के 9 से 10 बजे के बीच, तीसरी बार दिन में पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात् भगवान के विश्राम का समय हो जाता है। फिर चौथी बार शाम के समय 4 से 5 बजे के बीच भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए और पांचवा रात को 8 से 9 बजे के बीच सोने से पहले भगवान की आरती करनी चाहिए। जिस घर में प्रतिदिन इन 5 समय भगवान का पूजा, अर्चन और ध्यान किया जाता है उस घर में देवताओं का वास होता है और सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
- ऐसा माना जाता है की जिस घर में शंख बजता है उस घर में पाप और नकारात्मक उर्जा का नाश होता है परन्तु यह बात ध्यान रखना चाहिए कि बिना स्नान के या अपवित्र होने की स्थिति में शंख नहीं बजाना चाहिए क्योंकि इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न न होकर रूठ जाती हैं जिससे घर की सुख-समृद्धि चली जाती है।
- जहाँ भी भगवान की मूर्ति हो उस दिशा में पीठ नहीं करके बैठना चाहिए क्योंकि शास्त्रानुसार भगवान की मूर्ति की ओर मुह करके बैठने का अर्थ है ईश्वर से मुह फेर लेना।
- अगर आप शिवलिंग की पूजा करते हैं तो ध्यान रखना चाहिए की शिवलिंग पर केतकी का पुष्प अर्पित न करें।
- यदि आप भगवान से कोई मनोकामना मांग रहे हैं तो पूजा के बाद दक्षिणा जरुर चढ़ानी चाहिए और हर भगवत पूजा करते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
- दूर्वा घास को कभी रविवार के दिन नहीं तोडना चाहिए।
- लक्ष्मी माता और विष्णु भगवान को कमल का पुष्प अति प्रिय है। यदि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के बारे में सोच रहे हैं तो माता लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाये। कमल का फूल 5 दिनों तक बासी नहीं होता जल छिड़ककर लगातार 5 दिनों तक माता लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाया जा सकता है।
- अगर आप शिवलिंग पर बिल्व-पात्र चढाते हैं तो शास्त्रों के अनुसार आप बेल पत्रों पर जल छिड़ककर दोबारा चढ़ा सकते हैं क्योंकि शास्त्रानुसार 6 माह तक बासी नहीं होते।
- तुलसी के पौधे से अपने आप टूटने वाले पत्तो को 11 दिनों तक प्रयोग में लाया जा सकता है क्योंकि इन्हें 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता। इनको दोबारा प्रयोग में लाने के लिए इन्हें जल चढ़ाकर पवित्र कर लिया जाता है।
- फूलों को सीधे अपने एक हाथ से दुसरे हाथ में ला लेकर पहले फूलों को किसी पवित्र धातु के बने बर्तन में रखना चाहिए फिर उस पात्र से फूलों को हाथ में ले कर भगवान को चढ़ाना चाहिए।
- तांबे के बर्तन में चन्दन नहीं रखना चाहिए ऐसा करना शास्त्रानुसार शुभ नहीं माना गया है।
- शास्त्रानुसार एक दीपक को दुसरे दीपक से न जलाएं जो व्यक्ति ऐसा करता है वो रोग से ग्रसित हो सकता है।
- वैसे तो पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना बड़ा शुभ माना गया है पर दो दिन रविवार और बुधवार को पीपल के पेड़ में जल न चढ़ाएं ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है।
- पूजा करते समय आप किस दिशा की ओर मुह करके पूजा करते हैं यह भी महत्व रखता है। शास्त्रानुसार पूजा हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा की ओर करके ही की जानी चाहिए अर्थात मंदिर का मुह आपको पश्चिम या दक्षिण की ओर रखना चाहिए।
- पूजा या ध्यान लगाते समय ध्यान रखना चाहिए की जमीन पर नहीं बैठे हमेशा जमीन से ऊंचाई पर बैठे बेहतर होगा कि किस चटाई के ऊपर कोई ऊनी आसन पर बैठे जिससे ऊर्जा जमीन में न जाये।
- रोज घर में मंदिर में सुबह और शाम के समय दीपक नियमित रूप से जलाना चाहिए इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भगवान की पूजा-आरती करने के बाद पूजा के स्थान की 3 बार परिक्रमा करनी चाहिए
- रविवार के दिन, एकदाही, द्वादशी, संक्रांति के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और शाम के समय भी तुलसी के पत्तो का तोडना शुभ नहीं माना गया है।
- वैसे तो पूजा के बाद सभी आरती करते है पर आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए की भगवान के चरणों की आरती 4 बार, 2 बार नाभि की आरती और भगवान के मुख की आरती 1 या 3 बार करनी चाहिए इस तरह कुल मिलकर 7 या 9 बार भगवान की आरती करनी चाहिए।
- घर के मंदिर में बड़ी मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए। मूर्तियों की ऊंचाई 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की ही होनी चाहिए और खड़े हुए गणेश भगवान, सरस्वती माता या लक्ष्मी माता की मूर्तियाँ घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए।
- यह भी ध्यान रखना चाहिए की गणेश भगवान की तीन मूर्तियां, देवी माता की 3-3 मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए और 2 शिवलिंग, 2 सूर्य प्रतिमा, 2 गोमती चक्र, 2 शालिग्राम कभी नहीं रखें बेहतर रहेगा सभी देवी देवता एक की संख्या में हीं हो।
- लकड़ी, फायबर या प्लास्टिक की बनी मूर्तियाँ घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। मिटटी की बनी हुई मूर्तियाँ ही शुभ मानी जाती है।
- टूटी हुयी मूर्ति, जली कटी हुई भगवान की फोटो भी मंदिर में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि ये अशुभ माना जाता है। खंडित मूर्तियाँ मंदिर में रखना अशुभ माना जाता है।
- यदि भगवान की कोई मूर्ति आपसे गलती से टूट जाती है या आपके पास कोई खंडित भगवान की प्रतिमा हो तो इसे मंदिर में न रखकर इसे किसी पवित्र नदी में बहा देना चाहिए।
- यहाँ यह भी ध्यान देना चाहिए कि शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग कभी भी खंडित नहीं माना जाता।
- मंदिर में सिर्फ भगवान की वही मूर्ति रखें जो आपने या तो खुद बनाकर स्थापित की है या खरीद कर लाये है। कभी भी उपहार में दी हुई मूर्ति मंदिर में न रखें।
- घर में मंदिर के ऊपर भगवान की पुस्तके, वस्त्र, आभूषण या कुछ भी रखना अच्छा नहीं माना जाता बेहतर रहेगा की बाकि मंदिर की बाकी सभी चीजो को मंदिर से थोड़ी दूरी पर रखें पर मंदिर के ऊपर न रखें।
- मंदिर में एक पर्दा अवश्य रखना चाहिए जो रात के समय भगवान के विश्राम के समय मंदिर को ढक सके।
- वैसे तो हिन्दू धर्म में पितरो को भी ईश्वर तुल्य ही माना गया है पर घर के मंदिर में स्वर्गीय पितरो आदि की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए और उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करना चाहिए। क्योंकि मंदिर केवल भगवान का वास माना गया है इसलिए वह पितरो की तसवीरें रखना शुभ नहीं माना जाता।
- भगवान विष्णु की 4 परिक्रमा, गणेश भगवान की 3 परिक्रमा, सूर्य देव की 7 परिक्रमा, दुर्गा माता की 1 परिक्रमा और शंकर भगवान की आधी परिक्रमा कर सकते हैं।
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