करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कहानी और इसे मानाने की विधि (karwa chauth vrat katha in hindi)
करवा चौथ का त्यौहार हर सुहागिन स्त्री के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता हैं क्यूंकि यह व्रत वे अपनी पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं इस व्रत को हिन्दू धर्म में काफी मान्यता दी जाती हैं इसमें व्रत को अलग अलग रिवाजो के अनुसार मनाया जाता हैं लेकिन काफी विवाहित महिलाए अभी तक एक रिवाज को मानते हुए व्रत पूर्ण करती हैं जिसके बारे में नीचे बताया गया हैं |- करवा चौथ कब हैं? (दिन) (karwa chauth date) - 1 November 2023
- मुहूर्त (Karwa Chauth Muhurat) - बुधवार (शाम 5:44 से 7:02 तक)
- करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06:36 - रात 08:26
- चाँद निकलने का समय: रात 8 बजे (संभावित समय)
करवा चौथ व्रत पूजा विधि (Karwa Chauth Vrat Pooja vidhi)
बहुत से सुहागन महिलाए ऐसी होती हैं जिनकी जल्द शादी हुई होती हैं जिस वजह से उनको करवा चौथ व्रत की पूजा विधि के बारे में नहीं पता होता हैं. वे यहाँ पे बताये गयी विधि के अनुसार पूजा कर सकती हैं -
पूजा शुरू करने से पहले चौकी (पाटे) की अच्छी तरह साफ़ कर ले और उसपर एक लाल रंग का सूती कपडा बिछा दे या उसे लपेट दे |
उसके ऊपर जल से भरा लोटा व करवे में गेहू भरे और उसे ढक्कन से ढ़ककर ऊपर चीनी रख दे |
अब साफ़ कागज़ या दीवार पे चंद्रमा तथा उसके नीचे थोड़ी दूरी पर भगवान् शिव और कार्तिकेय का चित्र बनाये या स्थापित करे इसके बाद चौकी के चारो तरफ चावल के दानो को फैला दे | वैसे इस दिन महिलाए निर्जल व्रत रखती हैं और अन्न और पूजा समापन होने के बाद ग्रहण करती हैं |
पूरे दिन इस कठिन व्रत को रखने के बाद वे रात्री में चाँद निकलने के इंतज़ार करती हैं और उसके दर्शन करने के बाद अपने पति के हाथो से पानी पी कर इस व्रत को पूर्ण करती हैं. इसके बाद वे पूरण भोजन कर सकती हैं और तरह तरह के पकवान बनाकर घर के अन्य सदस्यों को खिला सकती हैं |
करवा चौथ व्रत कहानी (karwa chauth vrat katha in hindi)
किसी गाव में साहूकार रहता था उसके सात बेटे और एक बेटी थी. अकेली होने के कारण वो सबकी प्यारी थी. एक दिन कार्तिक चौथ आई तो उसने और उसकी भाभियों ने मिलकर करवाचौथ का व्रत रखा. जब रात्री के समय सभी भाई भोजन करने आये तो अपने बहन से बोले- आ बहन! तू भी खाना खाले तो उनकी बहन ने कहा आज मेरा व्रत हैं अब जब चाँद निकलेगा तभी मैं विधिपूर्वक पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करुगी. बहन को भूखा देखकर भाइयो ने छल-कपट से जंगल में आग लगा दी और अपनी बहन को छलनी से चाँद दिखाकर बोले की देखो बहन चाँद निकल आया हैं अरग दे लो | चाँद निकलने की बात को उसने अपनी भाभिओ को बताया तो उसकी भाभीया बोली की - ये तो तेरा चाँद निकला हैं हमारा तो रात में निकलेगा, यह सुनकर और भाइयो के बार बार कहने पर उसने अरग देकर भोजन करने बैठ गई. ऐसा करने से उसका व्रत टूट गया और गणेश जी रुष्ठ हो गए |
इसके बात वह घर के अन्दर आई तो उसका पति बीमार हो गया और वह उसे एक कोठरी में लेकर पड़ी रही. एक साल तक उसे कई परेशनियो का सामना करना पड़ा परन्तु उसके पति की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. एक साल बाद उसे अपने गलत व्रत का पता चला व चौथ माता के बारे में पता लगा.
इसके बाद उसने करवाचौथ के दिन व्रत रखा व नहा धोकर हाथो में मेहँदी लगायी, चूड़िया पहनी व पूरे विधि विधान से पूजा की. उसके कठिन परिश्रम को देखकर चौथ माता प्रसन्न हुई और उन्होंने उसके पति को स्वस्थ कर दिया और धन संपत्ति प्रदान की.
ध्यान दे: कहानी सुनते समय कटोरी में चावल ले (चाँद को अरग देते समय) ऐसा सात बार बोले
चंदा ए चंद्रावालिए चंदा आया बार में, उठ सुहागन अरग दे, मैं बैठी थी बाट में |
काहे का तेरा कंडला काहे का तेरा हार, ओसने का मेरा कंडला जगमोतियन का हार |
कहाँ बसे तेरा पेवड़ा कहाँ बसे ससुराल | आम टेल मेरा पेवड़ा नीम तले ससुराल } चंदा ए ........
करवा चौथ उजमन विधि
उजमन करने के लिए थाली में तेरह जगह चार चार पूरी और थोडा सा सीर रख ले उसके ऊपर एक साडी ब्लाउज और रूपए अपने इच्छानुसार रख दे. उसके बाद उसी थाली के चारो ओर रोली, चावल से हाथ फेर कर अपनी सासू के पाँव लगकर देदे | उसके बाद तेरह ब्राह्मणों को भोजन करावे और द्क्षिणा देकर और बिंदी लगाकर उन्हें विदा कर दे |
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