Nios Deled course 510 Assignment 1 Answer 1 with Question मैं यहाँ hindi भाषा में लिख दिया आप इसमें थोडा फेर बदल करके अपने असाइनमेंट में उतार सकते है |
असाइनमेंट का उत्तर मैंने अपनी सोच व समझ के अनुसार लिखा है इसलिए कोई भी गलती मिलने पर इसमें आप स्वयं सुधर कर ले या कमेंट करके हमें सूचित करे |
असाइनमेंट का उत्तर मैंने अपनी सोच व समझ के अनुसार लिखा है इसलिए कोई भी गलती मिलने पर इसमें आप स्वयं सुधर कर ले या कमेंट करके हमें सूचित करे |
प्रश्न 1) निम्नलिखित वैज्ञानिक दृष्टिकोण के गुणों की उपयुक्त उदाहरन सहित व्याख्या कीजिये |
संदेहवाद, निष्पक्षता
Deled Assignment 510 Answer 2
उत्तर 1) वैज्ञानिक संदेहवाद उन दावो की सच्चाई पर प्रश्न चिन्ह लगाता है जिनका कोई आनुभविक प्रमाण नहीं होता या जिनकी पुनः प्रस्तुतीकरण योग्यता नहीं जो 'सत्यापित ज्ञान के विस्तार' हेतु एक विधिवत मापदंड का भाग है | राबर्ट के. मार्टन जोर देकर कहते है की सभी विचारो का परीक्षण जरुरी है और उन सब की सख्त और सुव्यवस्थित ढंग से सामुदायिक जांच होनी चैये | हमें प्रश्न पूछने चाहिए, शक करना चाहिए और निर्णय को रोक कर रखना चाहिए जब तक की पर्याप्त सूचना उपलब्ध न हो |
संदेहवाद :
संदेहवाद निष्कर्ष निकालने से पहले प्रमाण मांगता है | हमें सोच विचार करके प्रमाण एकत्र करने चाहिए और प्रमाणों के सहारे न कि पक्षपात, तरहदारी या अविवेकपूर्ण सोच के सहारे आगे बढ़ना चाहिए | इतिहास की पुस्तकों में जो विज्ञान लिखा है वह विशिष्ट रूप से बड़ी-बड़ी खोजो व सिद्दांतो के बारे में है | परन्तु उतना ही महत्त्वपूर्ण लेकिन कम आकर्षक भाग है संदेहवाद का विज्ञान | विज्ञान की एक महतवपूर्ण आवशयकता है नयी खोजो की अन्य शोधकर्ताओ द्वारा फिर से प्रमाणित करने की क्षमता | यह गलत सिद्दांतो को व्यापक रूप से स्वीकृति दे से रोकती है |उदाहरण के लिए गेलिलियो ने अरस्तु के सिद्दांत को सूक्ष्म रूप से सतापित किया और दावा किया कि अरस्तु की सोच के विपरीत पृथ्वी पर सामान दूरी से गिरने वाली हलकी व भारी वस्तुए धरातल पर आने के लिए सामान समय लेती है | गुरुत्व भारी व हल्की वस्तुओ को सामान बन से खींचता है | अरस्तु के सिद्दांत के अनुसार वैज्ञानिकों को मानना था की भारी वस्तुए पहले गिरती है और हलकी बाद में |
निष्पक्षता :
यह ऐसी सोच है जिसकी सत्य की कसौटी संवेदी नहीं बल्कि वौधिक और निगमनात्मक है (बुर्के) | विवेक बुद्धि ज्ञान का सबसे अलग रास्ता है | बुद्धिवाद को अनभववाद का उलट माना जाता है | मोटे तौर पर एक दार्शनिक बुद्धिवादी भी हो सकता है और अनुभववादी भी (लेसी) | सोक्रेट्स (1470-399 ई.पू.) का दृढ विशवास था की विश्व को समझने से पहले मनुष्य को स्वयं को समझना आवश्यक है और उसके लिए विवेकपूर्ण सोच ही एक मात्र रास्ता है | इस बात का अर्थ जाने से पहले हमें ग्रीक लोगो की विश्व की समाज की प्रशंसा करनी होगी |मनुष्य दो भागो का बना है एक तो अविवेकपूर्ण भाग जो भावनाओ और इच्छाओं का है और दूसरा विवेकपूर्ण भाग, जो वह वास्तव में है | प्रतिदिन अविवेकपूर्ण भाव इच्छाओं के रास्ते हमारे भौतिक शरीर में प्रवेश करते है जिससे हमारी विश्व की अनुभूति ज्ञानेन्द्रियो द्वारा दी गयी सूचने तक ही सीमित रहती है | विवेकपूर्ण भाव हमारी हंकारी से दूर है | दार्शनिको का कार्य है भावो का शुद्धिकरण व उन्हें अविवेकपूर्ण भावो से मुक्त करवाना | इसलिए संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए नैतिक विकास और विवेकपूर्ण भावो से जुड़ना आवश्यक है |
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इमेनुएल कान्त (1724-1804) ने अपने अनभववादियो से कहा की जहाँ यह सही है की मानव ज्ञान के लिए अनुभव मूलरूप से आवश्यक है वही तर्क अनुभवों को बांधकर एक सससंगत सोच बबनाने में सहायता करता है | एक स्वयं-विदित प्रस्ताव में यह आश्चर्यजनक गुण है की केवल यह समझने से कि वह क्या कहता है, हम बिना जांचे, बिना किसी विशेष प्रमाण के, बुद्धिमानी से कह देते है की हाँ, यह सही है | कुछ ऐसे प्रस्तावों के उदाहरण है :
- कोई सतह जो लाल है, रंगीन है |
- यदि ए बी से बड़ा है और बी सी से बड़ा है तो ए सी से बड़ा है | दावा यह है की एक बार ये कथन समझ में आ जाए तो भी संवेदी अनुभव की जरुरत नहीं है की देखें की वे सत्य है |
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