Nios Deled course 509 Assignment 3 का Answer मैंने यहाँ हिंदी भाषा में दे दिया है आप अगर इंग्लिश में इसे लिखना चाहते है तो इसे वेबसाइट में उपलब्ध भाषाओ में कन्वर्ट कर सकते है |
उत्तर को मैंने ज्यादा बड़ा न करके सटीक शब्दों की सहायता से कम शब्दों में लिखा है जिससे लिखते समय आपको किसी भी तरह की दिक्कत ना हो |
प्रश्न 1) सतत और व्यापक मूल्यांकन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये | सामाजिक विज्ञान में आप अपने विधार्थियो के लिए सतत और व्यापक मूल्यांकन का उपयोग कैसे करते है ? अपने स्वयं के अनुभवों पर आधारित उदहारण द्वारा स्पष्ट कीजिये |
उत्तर 1)
रिपोर्ट कार्ड्स बालक की शक्तियों की अपेक्षा उसकी कमजोरियों को प्रदर्शित करते है | बालको के ख़राब प्रदर्शत का जिम्मा उसकी ज्ञानात्मक क्षमताओ पर थोप दिया जाता है जैसे की विधालयी प्रक्रियाओ और/या आकलन उपागमो का इसमें कुछ योगदान नहीं है | इसलिए, पारंपरिक परिक्षण अभ्यास बालक के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में कम सहायक थे |
जाने : आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक कैसे करे
उदाहरण के लिए, समीप स्थित एक कुटीर उधोग का भ्रमण वहा प्रयुक्त कच्चेमाल, कार्य में संलग्न बहुत से लोग, विपदन संभावनाए, मजदूरों की दैनिक/मासिक आय आदि को देखेने और उनका रिकॉर्ड लिखने हेतु करते है | यह अध्यापक से कक्षा से इसके बारे में सुनकर सीखने की अपेक्षा बालको की अधिगम में अधिक सहायता करता है |
उत्तर को मैंने ज्यादा बड़ा न करके सटीक शब्दों की सहायता से कम शब्दों में लिखा है जिससे लिखते समय आपको किसी भी तरह की दिक्कत ना हो |
प्रश्न 1) सतत और व्यापक मूल्यांकन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये | सामाजिक विज्ञान में आप अपने विधार्थियो के लिए सतत और व्यापक मूल्यांकन का उपयोग कैसे करते है ? अपने स्वयं के अनुभवों पर आधारित उदहारण द्वारा स्पष्ट कीजिये |
उत्तर 1)
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) :
पारंपरिक विधालय व्यवस्था की इस आधार पर कतुलोचना की जाती है की यह रत कर सीखने की पक्षधर है और बालको के व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को किनारे करते हुए सीमित बोधात्मक वृद्धि को प्राप्त करता है | परीक्षाओ बच्चो को पुस्तक के बजाय जीवन से दूर जाती है | विधार्थी का आकलन केवल केंद्रीय विषय क्षेत्रो में उपलब्धि पर मुख्यतः केन्द्रित रहता है और बालक के जीवन के अन्य पहलुओ जैसे सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक, वैयक्तिक आदि पहलुओ की उपेछा करता है |रिपोर्ट कार्ड्स बालक की शक्तियों की अपेक्षा उसकी कमजोरियों को प्रदर्शित करते है | बालको के ख़राब प्रदर्शत का जिम्मा उसकी ज्ञानात्मक क्षमताओ पर थोप दिया जाता है जैसे की विधालयी प्रक्रियाओ और/या आकलन उपागमो का इसमें कुछ योगदान नहीं है | इसलिए, पारंपरिक परिक्षण अभ्यास बालक के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में कम सहायक थे |
CCE के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है :
- मूल्यांकन को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनाना |
- मूल्यांकन का प्रयोग बालक के अधिगम और प्रगति के उपकरण के रूप में करना |
- स्व-अधिगम साथ ही साथ स्व-मूल्यांकन को प्रोत्साहित करना |
- अध्येता के विकास, अधिगम प्रक्रिया, अधिगम गति और अधिगम क्रियाकलापों के संधर्भ में सटीक निर्णय करना |
- परीक्षा सम्बन्धी चिंता, भय, मानसिक आघात, तनाव या फोबिया को छात्रो से दूर करना |
- विधालय आधारित मूल्यांकन को स्थायी बनाना |
- बाह्य परीक्षाओ को हतोस्ताहित करना |
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बालको की चित्रकारी
बालक स्वयं को चित्रकारी के माध्यम से अधिक स्वतंत्रतापूर्वक और गहराई से अभिव्यक्त कर सकते है | यह बालको को व्यक्तिगत व्याख्या और कल्पना का अवसर देता है | किसी एक सिद्धांत या विचार सम्बन्धी उनकी समझ के बारे में पूछने का एक सुखद तरीका है |क्षेत्र भ्रमण
भ्रमण से तात्पर्य केवल आनंद के लिए बाहल घूमना नहीं है अपितु बालक साथ-साथ जो अधिगम करते है - बाहर जाने से पूर्व, भ्रमण के दौरान और भ्रमण के पश्चात वालको का आकलन करने का अवसर भी शिक्षक को ये भ्रमण प्रदान करते है | छोटे बच्चे अवलोकन के द्वारा अधिगम करते है और अपने में सुधर करते है |उदाहरण के लिए, समीप स्थित एक कुटीर उधोग का भ्रमण वहा प्रयुक्त कच्चेमाल, कार्य में संलग्न बहुत से लोग, विपदन संभावनाए, मजदूरों की दैनिक/मासिक आय आदि को देखेने और उनका रिकॉर्ड लिखने हेतु करते है | यह अध्यापक से कक्षा से इसके बारे में सुनकर सीखने की अपेक्षा बालको की अधिगम में अधिक सहायता करता है |
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