Deled Course 507 Assignment 1 का 2 Answer.प्रश्न है "विद्यालयी शिक्षा में समुदाय को सम्मिलित करने की आवश्यकता का वर्णन कीजिए | विद्यालयी – शिक्षा में सुधार हेतु समुदाय को किस प्रकार सम्मिलित किया जा सकता हैं ? कम से कम पांच तरीके बताइए"
आप और बाकी सारे असाइनमेंट के उत्तर वेबसाइट के होमेपेज पर जाकर देख सकते है. अगर ये सभी उत्तर आपको सही नहीं लगते है तो आप nios की वेबसाइट से पीडीऍफ़ download करके अपने अनुसार उत्तर में फेर बदल कर सकते है|
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Deled Course 507 Assignment 2 Answer 1
विद्यालयी शिक्षा में समुदाय को सम्मिलित करने की आवश्यकता का वर्णन कीजिए | विद्यालयी – शिक्षा में सुधार हेतु समुदाय को किस प्रकार सम्मिलित किया जा सकता हैं ? कम से कम पांच तरीके बताइए |
उत्तर - जैसा की हम जानते हैं | विविध सरकारी प्रतिवेदनो और नीतियों ने विद्यालयी शिक्षा में समुदाय को शामिल करने के लिए शिक्षा – प्रणाली के लिए समर्थन शुरू किया हैं | जो समाज के प्रति अनुक्रियाशील एवं उत्तरदायी हैं | अत: १९८० के दशक के मध्य में समुदाय की भागीदारी भारत में विचार विमर्श का एक मुद्ददा बन गया जब विकेंद्रीकरण को शैक्षिक सुधार एवं बदलती प्रक्रियाओं के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में जाना जाने लगा |
प्रांभिक स्तर पर विद्यालयी शिक्षा की योजना एवं व्यवस्थापन में जिलों की क्षमता का निर्माण करने के लक्ष के साथ विद्यालयी शिक्षा प्रणालियों ,को विकसित करने के लिए एक एकीकृत और विकेंद्रीकृत उपागम के लिए राष्ट्रिय शिक्षा निति तथा साथ – साथ चलने वाली कार्य योजना अपरिहार्य है | प्रशासन के प्रत्येक स्तर एक उचित ढांचा के लिए उतरदायित्व सृजित करने तथा सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए समुदाय के भागीदारी को एक मौलिक जरुरत के रूप में देखा जाता हैं |
निति एवं कार्य योजना के अनुसरण में राज्य सरकार ग्रामीण शिक्षा समिति एवं विविध अन्य भागीदार संरचनाओं जैसी स्थानीय निकायों को स्थापित करने में कदम उठती हैं |
बच्चो के लिए नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून 2009 , सभी विद्यालयों के लिए विद्यालय व्यवस्था समिति स्थापित करने को भी अनिवार्य करता हैं | तथा प्रारंभिक शिक्षा का योजना एवं व्यवस्थापन में ग्रामीण शिक्षा समिति / वार्ड समिति के कार्यो का भी विशेष रूप से उल्लेख करता हैं | जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम , सर्व शिक्षा अभियान में कार्यक्रम में प्रांभिक शिक्षा में विशिष्ट भूमिकाओं और कार्यो के साथ ग्रामीण शिक्षा समितियों तथा शिक्षक अभिभावक संघो के निर्माण और भागीदारी पर अतरिक्त बल दिया गया हैं |
सूक्ष्म योजना की तैयरी , घर – घर सर्वेक्षण के माध्यम से गाँव में विद्यालय का नक्सा बनाना तथा अभिभावकों के साथ समय – समय पर विचार विमर्श करना ग्रामीण शिक्षा समिति का मुख्य उत्तरदायित्व होता हैं | इन समितियों के अन्य कार्यों में समुदाय में जागरूकता का सृजन करना , यहाँ तक की सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिशिचत करना तथा शिक्षक का विकास तथा विद्यालय के प्रभावी एवं नियमित कार्य को देखने के लिए समुदाय के साझीदारी का विकास करना हैं |
विद्यालय – शिक्षा में सुधार हेतु समुदाय को सम्मिलित कर सकते है जो निम्न हैं -
- सेवा उपलब्ध करने में भाग लेना , जब शिक्षक अनुपस्थित हो तो पढाना या व्यावसायिक कौशलों / संगीत की शिक्षा देना |
- विद्यालय से बाहर के बच्चों के लिए सर्वेक्षणों में भाग लेकर , बालश्रम पर जागरूकता बनाने में , नामांकन जागरूकता में भाग लेकर |
- प्रोत्साहनो जैसे मुफ्त पाठ्यपुस्तकें , विद्यार्थियों तक परिधान पहुचने का निरिक्षण करना , मध्यय भोजन की नियमितता एवं गुणवता का निरिक्षण करना |
- विद्यालय मानचित्रण अभ्यास में भागीदारी , विद्यालय की स्थिति , विद्यालयी संसाधनों जैसे भवन , कक्षाकक्षों , शौचालयों , पेय जल सुविधाओं की उपलब्धता में भागीदारी
यह स्पष्ट है की क्षेत्रो का एक संभावित विस्तार है जिसमे पाठ्यचर्या के विकास तथा निति के संरचना को समर्थन देने के लिए संसाधनों का संघटन तथा कक्षाकक्षों का निर्माण कर समुदाय शिक्षा में शामिल हो सकते हैं वे विद्यालयों के गतिविधियों के निरिक्षण में भी सहायता कर सकते हैं |
उपस्थिति ( विद्यालय में अभिभावक सभा में ) कक्षा काश में शिक्षण – अधिगम तथा सफाई का निरिक्षण करने के लिए विद्यालयों का दौरा कर , शिक्षको के साथ विद्यार्थियों के निष्पादन पर चर्चा के माध्यम से सहभागिता |
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